सिंहासन (SINGHASAN) AKBAR BIRBAL STORY / A Moral Story In Hindi
अकबर बहुत भला और समझदार बादशाह था। वह बुद्धिमानो और विद्द्वानो को अपने दरबार में प्रतिष्ठित स्थान देता था। ऐसे दरबारियों में बीरबल भी एक था। बीरबल चतुर और हाजिर जवाब था। अकबर के मन में उसके प्रति बहुत आदर की भावना थी। सभी दरबारियों में एकमात्र बीरबल ही ऐसा था जो बादशाह अकबर से मजाक कर सकता था ।
सिंहासन (SINGHASAN) AKBAR BIRBAL STORY / A Moral Story In Hindi |
एक बार बीरबल की इच्छा बादशाह अकबर से सिंहासन पर बैठने की हुई। उसने सोचा , देखूं सिंहासन पर बैठने के बाद कैसा लगता हूँ ?
एक बार मौका पाकर वह चुपचाप दरबार में पंहुचा, उस समय वहां कोई नहीं था। बीरबल तुरंत अकबर के सिंहासन पर बैठ गया।
उसी समय बादशाह के मंत्री ने बीरबल को सिंहासन पर बैठा हुआ देख लिया। आश्चर्य से उसकी आँखे खुली की खुली रह गयी। उससे बीरबल की यह उद्दंडता सहन नहीं हुई, गुस्से से दांत पीसते हुए उसने निश्चय किया की, ‘ बादशाह के सिंहासन पर बैठने का किसी को कोई अधिकार नहीं है। आज मै बीरबल को सजा दिलाये बिना नहीं रहूँगा। मंत्री दौड़ा – दौड़ा बीरबल के पास आया और उसका हाथ पकड़कर उसे सिंहासन से उतारने लगा लेकिन बीरबल सिंहासन पर बैठा रहा। मंत्री गुस्से से बीरबल को मुक्के मारने लगा। बीरबल जोर से चिल्लाया , "अरे मर गया ........कोई बचाओ – बचाओ।"
बीरबल के चिल्लानें की आवाज से महल में कोलाहल मच गया। सभी दौड़ते हुए दरबार में आये। तभी वहां बादशाह अकबर भी वहां आ पहुचे।
बादशाह अकबर ने दरबार में उपस्थित लोंगों से इस कोलाहल का कारण जानना चाहा।
तभी उस मंत्री ने नम्रतापूर्बक अकबर से कहा , "जहाँपनाह, बीरबल ने आपके सिंहासन पर बैठने की जुर्रत की है। यह तो हद हो गयी, बीरबल ने आपका सरासर अपमान किया है। हुजूर , इसे सजा मिलनी चाहिए।"
बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा , "बीरबल, तुम मेरे सिंहासन पर बैठे , इसलिए तुमसे अपराध हुआ है तुम्हे अपने बचाव में कुछ कहना है ?’’
बीरबल ने सहज भाव से कहा, " हुजूर मै तो सीधा – साधा आदमी हूँ। फिर मै हुजूर आपका अपमान कैसे कर सकता हूँ? मुझे तो यह देखना था की सिंहासन पर बैठने से मन में कैसे बिचार आते हैं और कैसे – कैसे दु;ख सहन करने पड़ते हैं ?"
बादशाह ने तुरंत ही पूंछा –"बोलो तुम्हे कैसा अनुभव हुआ ?’’
बीरबल ने हँसते – हँसते कहा – "हुजूर अभी तो सिंहासन पर बैठा ही था कि मुझे मंत्री की मार खानी पड़ी। इतनी ही देर में मुझे कितना दू;ख और अपमान सहना पड़ा, यह तो आप ही जानते होंगे, क्योकि आप तो इस सिंहासन पर प्रति दिन बैठते हैं। आप रोज कितना दू;ख सहते होंगे।"
बीरबल का चातुर्यपूर्ण उत्तर सुनकर बादशाह खुश हो गये। बीरबल की समझदारी के लिए उसकी पीठ थपथपाकर बादशाह ने बीरबल को शाबासी दी। उससे मंत्री बहुत शर्मिन्दा हुआ। वह सबकी नजरो से बचकर वहां से चुपचाप खिसक गया।
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सिंहासन (SINGHASAN) AKBAR BIRBAL STORY / A Moral Story In Hindi
Reviewed by Ramesh 'Manjhi'
on
4:57 pm
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