स्वभाव (एक प्रेरणादायक कहानी) / Svabhaav A Motivational Story
एक समय की बात है एक जंगल में एक संत रहते थे। उस जंगल के पास ही एक नदी बहती थी। संत नदी के किनारे पर एक कुटिया बनाकर भगवान की भक्ति करते थे।
संत बड़े ही दयालु स्वभाव के थे। वहां से आते जाते लोग उनके पास उपदेश सुनने के लिए रुका करते थे। संत उनको हमेशा सच बोलने तथा किसी को दुःख न देनें का उपदेश देते थे। मानव मात्र पर ही नहीं अपितु वे सभी जीव जंतुओं के प्रति दया भाव रखते थे।
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| स्वभाव (एक प्रेरणादायक कहानी) / Svabhaav A Motivational Story |
रोज की तरह एक दिन सुबह संत स्नान करनें के लिए नदी पर गए। उनके साथ उनका एक शिष्य भी था। संत नदी में स्नान कर रहे थे तभी उन्हें पानी में एक बिच्छू बहता हुआ दिखाई दिया। संत नें सोचा यह जीव पानी में डूब कर मर रहा है क्यों न इसकी जान बचाई जाय।
बिच्छू को बचानें के लिए संत ने जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया और बिच्छू को बहार निकालनें लगे। बिच्छू ने संत की हथेली पर जोर का डंक मारा। डंक लगनें से संत को बहुत तेज पीड़ा हुई और बिच्छू उनके हाथ से छूटकर फिर से पानी में गिर गया।
संत स्वभाव से दयालु थे। इसलिए वह बिच्छू को पानी में डूबते हुए नहीं देख सके। जैसे ही उनके हाथ की पीड़ा कम हुई उन्होंने नें पुनः उसे बहार निकालनें के लिए हाथ बढ़ाया। संत के हाथ आगे बढ़ाते ही बिच्छू ने फिर से जोरदार डंक मारा। संत पुनः दर्द से कराह उठे तथा बिच्छू फिर उनके हाथ से छूटकर पानी में गिर गया और डूबने लगा।
संत की दयालुता डूबते हुए जीव को देख न सकी। उन्होंने फिर अपना हाथ बिच्छू को बचाने के लिए बढ़ाया पर बिच्छू का स्वभाव ही डंक मारनें का होता है। उसनें संत को पुनः डंक मारा। संत बार बार हाथ बढ़ाते बिच्छू डंक मारता और पानी में गिर जाता।
संत का शिष्य किनारे खड़ा यह सब देख रहा था। उसने अपनें गुरु को पीड़ा से कराहते देखकर बोला, "गुरूजी यह बिच्छू बार बार आपको डंक मार रहा है। फिर भी आप इसे बचानें का प्रयास कर रहे है। इसे नदी में ही क्यों नहीं बहने देते।"
शिष्य की बात सुनकर संत बोले, "यह बिच्छू एक नीच स्वभाव का जीव है। दुसरे को डंक मारना इसका स्वभाव है। मैं मनुष्य हूँ दूसरों पर दया करना तथा उन्हें सुख पहुँचाना हमारा स्वभाव है। अगर यह नासमझ जीव अपना स्वभाव छोडनें को तैयार नहीं हैं। तो मैं मनुष्य होकर अपना स्वभाव कैसे छोड़ दूँ।"
ये कहते हुए संत नें बहते हुए बिच्छू को बाहर निकल दिया।
संत नें अपने शिष्य को समझाते हुए कहा, "हमको ईश्वर नें दयालु स्वभाव का बनाया हुआ है। जब यह बिच्छू अपनें बुरे स्वभाव को छोडनें के लिए तैयार नहीं है तो में भला अपनें अच्छे स्वभाव को क्यों छोड़ दूँ। यदि मैं दया छोड़ देता तो अच्छाई पर बुराई की विजय हो जाती। क्या तुम्हें अच्छाई की हार पसंद है।"
महात्मा की बातें सुनकर शिष्य को अपने गुरु पर बहुत गर्व हुआ तथा वह संत के चरणों में गिर पड़ा।
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स्वभाव (एक प्रेरणादायक कहानी) / Svabhaav A Motivational Story
Reviewed by Ramesh 'Manjhi'
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10:52 pm
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