चूहा और कौआ की कहानी / Story Of Crow And a Rat / A Moral Story In Hindi
एक जंगल में एक पुराना बबूल का पेड़ था बबूल के पेड़ के नींचे एक चूहा अपने परिवार के साथ रहता था। एक दिन एक कौवे का जोड़ा उड़ते हुए उस पेड़ के पास आया और बबूल के पेड़ पर बैठ गया। कौवे को वहां का वातावरण बहुत ही अच्छा लगा। उसनें वहीँ पर अपना घोसला बनानें का निश्चय किया। फिर क्या था अगले ही दिन घोंसला बनाने का कम शुरू कर दिया गया।
कौआ का जोड़ा घोंसला बनानें में व्यस्त था। तभी पेड़ के नीचे रहने वाला चूहा अपने बिल से बाहर निकला। उसने देखा की पेड़ पर दो कौवे अपना घोंसला बना रहे थे। चूहे ने जोर से आवाज लगाई भाई साहब यहाँ घोंसला मत बनाईये, यह स्थान सुरछित नहीं है। कौआ चूहे की बात सुनकर सोचने लगा की यह चूहा इतना छोटा सा है इसको क्या पता कौन सा स्थान सुरछित है कौन सा असुरछित। यहाँ तो ऐसी कोई दिक्कत नहीं हैं इससे सुरछित स्थान शायद पूरे जंगल में नहीं होगा।
कौवे चूहे की बात को नजरंदाज करते हुए पुनः घोंसला बनानें में जुट गए।
घोंसला बनकर तैयार हो गया और कौवे ख़ुशी ख़ुशी अपनें घोसले में रहनें लगे। कुछ समय बाद मादा कौआ ने घोसलें में अंडे दिए, समय बीतता गया। एक दिन की बात है कौवे रोज की तरह भोजन की तलाश में जंगल में गए हुए थे। उसी दिन जोर से हवा का एक झोंका आया और वह बबूल का पेड़ जड़ से उखड़कर गिर गया। उस पेड़ पर बनें घोसले तथा अंडे गिरकर चकनाचूर हो गए। जब कौवे वापस लौटकर आये तो पेड़ और घोंसले को तहस नहस देखकर चीखनें और चिल्लानें लगे।
चूहा अपनें बिल से यह सब देख रहा था वह बाहर निकला और बोला ," भाईसाहब आपनें अपना बसेरा इस पेड़ की ऊंचाई, खूबसूरती और मजबूती को ऊपर से देखकर बनाया था। पर मै इस पेड़ की मजबूती को जमींन के अन्दर से जानता था। इसकी जड़ें बहुत कमजोर हो गयी थीं। जड़ें देखकर मुझें अहसाह हो गया था की यह पेड़ तेज हवा के झोंकों को नहीं झेल पायेगा, पर आपनें मेरी बात नही मानी और आखिर में वही हुआ।"
कौआ चूहे की बात न मानकर मन ही मन बहुत पछता रहा था।
इस कहानी से सीख
जरुरी नहीं की हम जितना जानते हैं उतना ही सही है हमें छोटे बड़े का भेदभाव छोड़कर अनुभवी लोंगों की बातें सुननी समझनी तथा माननी चाहिए।
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चूहा और कौआ / Story Of Crow And a Rat / A Moral Story In Hindi
Reviewed by Ramesh 'Manjhi'
on
1:11 am
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