दो सच्चे मित्रों की कहानी, A Motivational Stories

दो सच्चे मित्रों की कहानी, A Motivational Stories

साथियों, आज की हमारी कहानी महेश और गणेश नाम के दो सच्चे मित्रों की है। जो एक गाँव में रहते थे। महेश की उम्र करीब 14 वर्ष तथा गणेश की उम्र 10 वर्ष है। दोनों एक दुसरे के गहरे मित्र थे, एक दिन की बात है दोनों मित्र कुछ बच्चों के साथ गाँव के बाहर कुएं के पास खेल रहे थे। खेलते खेलते अचानक महेश कुएं मे गिर गया। महेश को कुएं में गिरा देखकर सभी बच्चे घबराकर जोर जोर चिल्लाने लगे और शोर मचाते हुए गाँव की तरफ भागने लगे।
दो सच्चे मित्रों की कहानी, A Motivational Stories
दो सच्चे मित्रों की कहानी, A Motivational Stories

गणेश अपनी जगह पर खड़े खड़े यह सब देख रहा था। उसकी समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या करे। उसने पीछे मुड़कर देखा तो सभी बच्चे गाँव की ओर जा चुके थे। उसने चारों तरफ नजर दौड़ाई दूर दूर तक कोई मदद करने वाला नजर नहीं आ रहा था। गणेश ने मन में निश्चय किया की जो कुछ करना है मुझे करना है। मै अपने दोस्त को ऐसे मौत के मुंह में नहीं छोड़ सकता।

वह दौड़कर झाड़ियों के पास गया और पेड़ से लपटी हुई लताओं को तोडना शुरू किया। उसने करीब सात से आठ मजबूत लताएँ तोड़ी और भागकर कुएं के पास आया। गणेश ने सभी लताओं को एक दुसरे से जोड़कर एक रस्सी बनाई, और फिर तुरंत लता वाली रस्सी को कुएं मे डाल दिया। फिर आवाज दिया महेश, तुम इस रस्सी को कमर में मजबूती से बंधकर पकड़ लो। महेश ने ऐसा ही किया अब महेश को कुछ सहारा मिल गया था।

पर सबसे बड़ी दिक्कत की बात अब थी, की महेश को कुएं से बाहर कैसे खीचा जाय। गणेश अपनी पूरी ताकत लगाकर रस्सी खीचता पर महेश का वजन अधिक होने के कारण एकाध फिट ही खींच पाता। उसके दोनों हाथ लाल हो गए और असहनीय दर्द होने लगा। गणेश ने तीन चार बार प्रयास किया, उसको लगा की यह रस्सी उसके हाथ से छुट जाएगी। पर उसके दिमाग में एक बात चल रही थी, कि बड़ी मुस्किल से थोड़ा थोड़ा करके कुछ ऊपर तक खींच पाया हूँ। यदि यह रस्सी छूट गयी तो दोबारा यहाँ तक नहीं खींच पाउँगा। गणेश ने मन में निश्चय किया की कुछ भी हो पर वह रस्सी नहीं छोड़ेगा।

गणेश ने जी जान लगाकर दर्द को बर्दास्त कर आखिर में महेश को कुएं से बहार निकाल लिया। गणेश का हाथ बहुत दुःख रहा था पर उसके मन में कहीं न कहीं एक ख़ुशी की लहर जरुर थी। क्योंकि उसने अपने दोस्त को मौत के मुंह से निकल लिया था। अब दोनों गाँव की तरफ बढ़ ही रहे थे की तब तक सभी गाँव वाले वहां पहुँच गए। दोनों को एक साथ देख पूरा गाँव अचम्भित था।

गाँव के एक युवक ने आश्चर्यचकित  होकर पूंछा, "तुममे से कुएं में कौन गिरा था।"

“मै गिरा था कुएं में " महेश ने उत्तर दिया।

युवक, "तुम बाहर कैसे आये।"

“मैंने लता की रस्सी बनाकर इसे खींच कर बाहर निकला” गणेश ने उत्तर दिया।

सभी ग्रामवासी अवाक् रह गए।

"तुम हम लोंगों को पागल समझते हो, क्या हम लोग नहीं जानते कि तुम इसका भार नहीं उठा पाओगे" युवक ने चिल्लाते हुए कहा।

सभी ग्रामवासी एक दुसरे से यही कह रहे थे की गणेश के अन्दर इतनी ताकत कहाँ से आ गयी। वह अपने शरीर के भार का वजन मुश्किल से उठा पायेगा, तो अपने भार से ज्यादा वजन के महेश को कैसे उठाया।

इतने में गाँव के बुजुर्ग जमुना चाचा ने आगे बढ़ते हुए कहा की, " सवाल ये नहीं है की इसने ये कैसे किया, पर सवाल ये है कि ये ऐसा क्यों कर पाया।"

जमुना चाचा ने गणेश के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,"जब यह छोटा सा बच्चा महेश को बचाने में लगा था तो इसके आसपास दूर दूर तक कोई नहीं था, यहाँ तक की इसके अन्दर ये अहसास भी नहीं था की मै एक छोटा सा बच्चा हूँ। इसको कोई भी यह बताने वाला नहीं था की तुम ये नहीं कर सकते, इस बच्चे के दिमाग में ये बात भी नहीं आई होगी की ये मै नहीं कर सकता। इसके दिलोदिमाग में एक ही चीज थी की मुझे अपने दोस्त को बचाना है। इसके अंतरात्मा से यही आवाज आ रही थी कि ये मैं कर सकता हूँ। इसी कारण से गणेश अपने दोस्त को बचा पाया।”

जमुना चाचा की यह बात गाँव वालों के समझ में आ गई थी। गाँव वालों को आश्चर्य के साथ साथ इस बात की ख़ुशी थी की आज एक छोटे से बच्चे की बदौलत उन्हें जीवन के उतार चढाव से लड़ने की एक नई सीख मिल गई है।

प्रिय मित्रों हमारे द्वारा लिखे इस लेख में यदि कुछ त्रुटि दिखाई दी हो, या इस लेख से सम्बन्धित कोई जानकारी आपके पास हो, तो हमें अपने कमेन्ट के मध्यम से अवगत कराएँ। कहानी पसंद आयी हो तो अपने मन की बात हमें जरुर बताएं। आपका कमेन्ट ही हमें आगे लिखने के लिए प्रेरित करता है।  


इसे भी पढ़ें...... 

दो सच्चे मित्रों की कहानी, A Motivational Stories दो सच्चे मित्रों की कहानी, A Motivational Stories Reviewed by Ramesh 'Manjhi' on 11:58 pm Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।

Blogger द्वारा संचालित.