जीवन परिचय –
धर्मवीर भारती (Dharamvir Bharati) का जन्म 25 दिसम्बर सन 1926 ई0 को इलाहाबाद में हुआ था। इन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी विषय लेकर एम्0ए0 और पीएचडी की उपाधिया ली। इन्होने कुछ वर्षो तक यही से प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक पत्र “संगम” का भी संपादन किया। कुछ समय तक ये इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्राध्यापक भी रहे। सन 1972 ई0 में भारत सरकार ने भारतीजी को ‘पद्मश्री’ की उपाधि से अलंकृत किया। 4 सितम्बर 1997 ई0 को यह कलम का सिपाही इस संसार से विदा लेकर परलोकवासी हो गए।
धर्मवीर भारती का जीवन-परिचय /Biography of Dharamvir Bharati |
धर्मवीर भारती (Dharamvir Bharati) प्रतिभाशाली कवि, कथाकार व नाटककार थे। इनकी कविताओं में रागतत्व की रमणीयता के साथ बौद्धिक उत्कर्ष की आभा दर्शनीय है। कहानियों और उपन्यासों में इन्होने सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं को उठाते हुए बड़े ही जीवन्त चरित्र प्रस्तुत किये हैं। साथ ही समाज की विद्रूपता पर व्यंग्य करने की विलक्षण क्षमता भारतीजी में रही।
कहानी, निबन्ध, एकांकी, उपन्यास, नाटक, आलोचना, संपादन व काव्य-सृजन के क्षेत्र में इन्होने अपनी विलाचन सिर्जन प्रतिभा का परिचय दिया। साहित्य की जिस विधा का भी भार तीजी ने स्पर्श किया वही विधा इनका स्पर्श पाकर धन्य हो गयी। ‘गुनाहों का देवता' जैशा सत्सत्त उपन्यास लिखकर भारतीजी अमर हो गए। इस उपन्याश पर बनी फिल्म भारतीय समाज में अधिक लोकप्रिय हुई।
रचनाएँ -
धर्मवीर भारती (Dharamvir Bharati) जी की उल्लेखनीय कृतियों में ‘कनुप्रिया’, ठंडा लोह, ‘अँधायुग’ ,’और ‘सात गीतवर्ष’, ‘(काव्य ), ‘गुनाहों का देवता’, ‘सूरज का सातवां घोड़ा’, ‘(उपन्यास) , ‘मानस-मूल्य’, ‘साहित्य’, ‘नदी प्यासी थी’, ‘(नाटक), ‘कहानी-अनकहनी’, ‘ठेले पर हिमालय’, ‘पश्यंती’ (निवंध संग्रह) हैं । इसके अतिरिक्त विश्व की कुछ प्रसिद्ध भाषाओं की कविताओं का हिन्दी अनुवाद भी ‘देसांतर’ नाम से प्रकाशित हुआ है।
धर्मवीर भारती जी की भांषा परिस्कृत एवं परिमार्जित खड़ीबोली है। इनकी भांषा में सरलता, सजीवता और आत्मीयता का पुट है तथा देशज, तत्सम एवं तदभव शब्दों का प्रयोग हुआ है। मुहावरों और कहावतों के प्रयोग से भांषा में गति और बोधगम्यता आ गयी है ! विषय और विचार के अनुकूल धर्मवीर भारती जी की इन रचनाओं में भावात्मक, समीक्षात्मक, वर्णनात्मक, एवं चित्रात्मक शैलियों के प्रयोग हुए हैं।
प्रस्तुत निबन्ध ‘ठेले पर हिमालय’ एक यात्रा-वृत्त है, जिसमे हिमालय की रमणीय शोभा का वर्णन है। शी र्षक की विचित्रता के साथ नैनीताल से कौसानी तक की यात्रा का वर्णन कम रोचक नहीं हैं। और शैली में नवीनता इसका मुख्य कारण है।
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धर्मवीर भारती का जीवन-परिचय /Biography of Dharamvir Bharati
Reviewed by Ramesh 'Manjhi'
on
10:19 pm
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