स्व.रणजीत निषाद जी की जीवनी - Biography of Ranjeet Nishad


स्व.रणजीत निषाद जी की जीवनी - Biography of Ranjeet Nishad

स्व.रणजीत निषाद जी की जीवनी - Biography of Ranjeet Nishad
स्व.रणजीत निषाद जी की जीवनी - Biography of Ranjeet Nishad
जन्म :- 08-01-1936 ग्राम-पोस्ट मुडुवा, सुलतानपुर

मृत्यु :- 01-06-2018 ग्राम-पोस्ट मुडुवा, सुलतानपुर

पालक माता-पिता :- स्व. शीतल प्रसाद निषाद (पिता) श्रीमती बेसरा देवी (माता)

पति /पत्नी:- श्रीमती चित्रा देवी

कुल:- निषाद वंश

शिक्षा:- मैट्रिक

भाषा:- हिन्दी,अंग्रेजी

नागरिकता:- भारतीय

कर्मभूमि:- जनपद सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश

कर्मक्षेत्र:- समाज कल्याण,समाज सेवा व सुधार

उपलब्धि:- शिक्षा के उपरांत उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना विभाग में वर्ष 1969 तक सेवा ।

वर्ष 1970 में लिया गया समाज कल्याण का संकल्प भारतीय निषाद संघ की स्थापना ।

वर्ष 1974 में इसौली विधान सभा से विधायक का चुनाव लड़ा यद्यपि सफलता नहीं मिली ।

वर्ष 1977 में बी.के.डी.(जनता पार्टी) के जिलाध्यक्ष बने, और उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जिला परिषद का सदस्य नामित किया गया।

वर्ष 1982 में गोमती नदी को लीज पर लेकर मछली बिक्री का व्यवसाय बड़े स्तर पर किया।

वर्ष 1982 से 1995 तक 13 वर्ष तक ग्राम सभा मुडुआ-प्रधान रहे।

वर्ष 1985 में पुनः जयसिंहपुर से विधायक का चुनाव लड़ा,सफलता नही मिली किन्तु इससे समाज जाग्रति हुआ।

वर्ष 1989 से सन्त निरंकारी मिशन में सक्रिय प्रचारक रहे और यह कार्य अंतिम क्षण तक चलता रहा ।

वर्ष 1996-97 में बहुजन समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष मान्यवर कांसीराम के द्वारा नियुक्त किये गए,और अपने इस दायित्व को बखूबी निभाया।

जीवन-परिचय (8 जनवरी, 1936 --1 जून, 2018)


श्री रणजीत सिंह (Ranjeet Nishad) का जन्म 8 जनवरी,1936 को ग्राम-पोस्ट,मुडुवा तहसील सदर जनपद सुलतानपुर,उत्तर प्रदेश में हुआ।आपके पिता स्व. शीतल प्रसाद निषाद देशभक्त,नीतिवान और परोपकारी स्वभाव के थे।उन्होंने अपने पिता स्व. शिवनाथ निषाद के पास ढाका मैमन सिंह (वर्तमान में बंग्लादेश) में रहकर मैट्रिक की शिक्षा अंग्रेजी और बांग्ला के साथ प्राप्त की।अमर स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद बोस जी के सम्पर्क में आकर शीतल प्रसाद जी देश को आजाद कराने में जुट गए।एक क्रान्तकारी अभियान में शीतल प्रसाद जी को युवावस्था में ही जेल हो गयी।सजा के बाद वे अपने पैतृक गांव मुडुवा में आकर रहने लगे जहाँ अंग्रेज शासन के दौरान उन पर कड़ी निंगरानी रखी जाती रही।1971 में बंग्लादेश बना,और मैमन सिंह जेल के दस्तावेजों के आधार पर भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने उन्हे स्वतंत्रता, सेनानी का सम्मान तामपत्र एवम् साल ओढ़ाकर प्रदान किया।

रणजीत सिंह (Ranjeet Nishad) निषाद को उनके पिता ने असमान्य परिस्थितियों में भी शिक्षित करने के लिए विद्यालय भेजा।गांव से आठ किलोमीटर दूर गोमती नदी पार करके कुड़वार पैदल जाकर उन्होंने दसवीं तक शिक्षा प्राप्त की व उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग में सिनेमा ऑपरेटर के पद पर नियुक्त हो गए।1969 तक वे सुलतानपुर,बुलन्दशहर, मथुरा बाँदा आदि जनपदों में रहकर शासकीय सेवा निभाते रहे।फिर गांव आ गए और अत्यधिक पिछड़े निषाद समाज को सँगठित करने में जुट गए।

1970 में गोरखपुर से आये निषाद समाज के नेताओ के साथ मिलकर भारतीय निषाद संघ की स्थापना की जिसमे श्री सीताराम निषाद,श्री रणजीत सिंह निषाद, श्री खेमई प्रसाद निषाद, श्री गयादीन निषाद, एवम श्री बैजनाथ निषाद आदि ने सक्रिय योगदान देकर बाध मंडी शाहगंज चौराहा, सुलतानपुर से समाज के उत्थान का बीड़ा उठाया।बाध मंडी में बाध की बिक्री के लिए आने वाले निषाद समाज के लोग,जो कि खुली धूप व बरसात में सड़क पर बैठकर अपना बाध बेचते थे, की सुविधा के लिए जिलाध्यक्ष कार्यालय तक मार्च निकाला,धरना व ज्ञापन दिया। पिछड़े निषाद समाज के लिए उन दिनों ये बहुत बड़ी बात थी।सरकारी सेवा के उपरांत माता-पिता की सेवा के अलावा बिखरे हुए समाज को एकजुट करने का कार्य करने के लिए सुलतानपुर जिले के गांव-गांव गए,वहाँ रात्रि निवास किया व सामाजिक चेतना जगायी। शिक्षा,वाल विवाह निषेध,मद्यपान निषेध आदि कार्यो पर बल दिया। सामाजिक चेतना हेतु कई भोजपुरी लोकगीत आपने व आपके छोटे भाई हरजीत सिंह निषाद जो वर्तमान् में दिल्ली में सन्त निरंकारी पत्र-पत्रिकाओं के मुख्य सम्पादक है,ने लिखे व छपवाए।इस प्रकार सामाजिक चेतना जाग्रत करने का अभियान चला,और समाज के लोग बड़ी संख्या में आगे आकर सहयोग देने लगे।समाज द्वारा गया जगन्नाथ जी के जो विशाल भण्डारे आयोजित होते थे,उनको उन्होंने प्रचार-प्रसार के साधन के रूप में अपनाया ताकि समाज के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक जाग्रति फैले और समाज का उत्थान हो सके।

वर्ष 1974 में वे इसौली विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़े। यद्यपि उसमे सफलता नहीं मिली लेकिन इससे समाज मे अत्यधिक जागरूकता आयी,और नए उत्साह का संचार हुआ।1977 में वे बी0 के0 डी0 (जनता पार्टी )के जिलाध्यक्ष रहे। उत्तर प्रदेश शासन द्वारा उन्हें जिला परिषद का सदस्य नामित किया गया।

परिवार की जिम्मेदारियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए आपने गोमती नदी को लीज पर लेकर मछली बिक्री का व्यवसाय बड़े स्तर पर किया, जो 1982 से बढ़ैयावीर, सुलतानपुर में रहकर किया। इस कार्य के द्वारा आपने समाज के अनेकों लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया और समाज कल्याण के कार्य को जारी रखा।

वर्ष 1985 में पुनः आपने अपने उपलब्ध साधनों से जयसिंहपुर विधान सभा क्षेत्र से विधायक का चुनाव लड़ा,यद्यपि उसमें भी सफलता नहीं मिली,लेकिन इससे समाज जाग्रत हुआ और यह आत्म विश्वास जगा की विधान सभा या लोकसभा का चुनाव भी समाज की एकजुटता से लड़ा व जीता जा सकता है।मुडुवा ग्राम सभा मे वर्षो से सवर्ण प्रधान चुने जाते रहे।आपने वर्ष 1982 में मुडुवा ग्राम सभा के प्रधान का चुनाव लड़ा एवम् जीत दर्ज की।आप 1995 तक लगातार 13 वर्षो तक ग्राम प्रधान रहे।उसके बाद से स्थितियां ऐसी निर्मित हुईं कि तब से अभी तक मुडुवा ग्राम सभा मे निषाद समाज का प्रधान ही विजयी होता आया है।

समाज सेवा में अत्यधिक गरीब,पिछड़ो,अशिक्षितों व शोषितों का उत्थान आप की सेवा सूची में ऊपर रहे।मान्यवर कांसीराम जी अध्यक्ष बहुजन समाज पार्टी ने उनकी संगठन क्षमता को सम्मान देते हुए वर्ष 1996-97 में उन्हें बसपा का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया जिसे उन्होंने बखूबी निभाया और उनकी सराहना प्राप्त की। 60 वर्ष की आयु तक पहुँचते-पहुँचते उन्होंने देखा कि 1970 मे समाज विकास का जो संकल्प लिया गया था,

वह नन्हा पौधा अब विशाल रूप ले चुका है। समाज ने उन हालातों की तुलना में कई गुना तरक्की की है,लेकिन समग्र रूप से देखा जाय तो अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है,लेकिन प्रसन्नता की बात है कि कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।1989 में श्री रणजीत सिंह जी निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के सम्पर्क में आये,मिशन की समता, समदृष्टि व भेद भाव से रहित आध्यात्मिक सिद्धान्तों से प्रभावित होकर वे मिशन के प्रचारक बन गए।और जिले भर में जा-जाकर सत्य सन्देश देना आरम्भ किया । सुलतानपुर, प्रतापगढ़, फैजबाद,अमेठी आदि जिलों में अनेकों स्थानों पर आपके प्रयासों से संगतों का गठन और साध संगत का संचालन आरम्भ हुआ। आपने अपने घर पर ही सत्संग भवन बनवाया। और ब्रांच मुखी के रूप में सत्संग का आयोजन चलता रहा जहाँ हजारों लोगों का जीवन परिवर्तित हुआ और आज भी यह कार्य यथावत चल रहा है।

1 जून, 2018 को आप नश्वर शरीर त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए।


8 जून, 2018 को ग्राम मुडुवा में सन्त निरंकारी मिशन द्वारा विशाल श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया,जहाँ बड़ी संख्या में स्थानीय सज्जनों व सन्तो-भक्तों ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
आपके दो सुपुत्र हैं:-श्री रमेश निषाद,जो (अपर निजी सचिव,खेल और कौशल मंत्रालय लखनऊ में राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत रहकर उनके कार्यो को आगे बढ़ा रहे हैं।तो छोटे सुपुत्र श्री दिनेश निषाद गांव में रहकर घर-परिवार व गांव-समाज, एवम् साध संगत की सेवाओं को उसी रूप में आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं,जैसा कि वो करते आये थे।

श्री रणजीत सिंह के एक भाई व दो बहनें हैं।उनके छोटे भाई श्री हरजीत सिंह निषाद भी सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया में अधिकारी के रूप में सेवारत रहने के उपरांत सन्त निरंकारी पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन व समाजहित के कार्यों के द्वारा उनकी शिक्षाओं व दिशा निर्देश को आगे बढ़ा रहे हैं ।श्री हरजीत सिंह निषाद के तीन सुपुत्र हैं।श्री योगेश निषाद (झलकारी बाई चिकित्सालय लखनऊ) श्री राजेश निषाद (के0 जी0एम0यू0 लखनऊ) तथा श्री रिंकू निषाद (मुख्य चिकित्सा सुलतानपुर के स्टेनो) के रूप में जहाँ शासकीय सेवा निभा रहे हैं, वही स्व. रणजीत सिंह जी द्वारा दी गयी प्रेरणा के अनुरूप सामाजिक कार्यों में भी सक्रियता पूर्वक योगदान दे रहे हैं।

आध्यात्मिक,सामाजिक,व राजनैतिक क्षेत्र में स्व. रणजीत सिंह निषाद जी ने जो श्रेष्ठ कार्य किया है,वह उनके यशस्वी पिता स्व. शीतल प्रसाद सहित उनके कुल का नाम तो ऊंचा करेगा ही समाज को भी उनसे निरन्तर प्रेरणा मिलती रहेगी।स्व.रणजीत सिंह निषाद जी देश व समाज के लिए एक रोशन मीनार की तरह हैं,जिन्हें निरन्तर याद किया जाता रहेगा।उनका नाम सदा सदा के लिए समाज में जीवंत रहकर समाज को प्रेरणा प्रदान करता रहेगा।

निषाद समाज के सरंक्षक स्व.रणजीत सिंह निषाद,बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।उन्होंने अपनी कर्तव्यपरायणता से निषाद समाज को एक नई पहचान दी और जनपद सुलतानपुर के निषाद समाज को गति प्रदान की,जब हम अपने जीवन में ऎसे व्यक्तित्व को खो देते हैं,तब समय रुकता प्रतीत होता है।इस दुनिया में जो आया है जरूर जाएगा यह सृष्टि का अटल सिद्धान्त है,किंतु जो लोग पीछे छूट जाते हैंउनके दिलों में जिंदा रहना ही अमर हो जाना है,आपकी अमरता निषाद समाज में हमेशा जीवंत रहेगी।

भावपूर्ण गहरी सम्वेदना एवं सहानुभूति,सहित प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि परमात्मा उनकी आत्मा को शांति एवम् उनके शोकाकुल परिवार को इस पीड़ा से उबरने की शक्ति दे।

चरणों में यह सिर झुकाते रहेंगे ।
                            संस्कारों को आपके निभाते रहेंगे।।
                            सदा तुम रहोगे दिलों में हमारे।
                            श्रद्धा सुमन हम चढ़ाते रहेंगे ।।
                               😰 अश्रुपूरित श्रद्धांजलि 😰

स्व.रणजीत निषाद जी की यह जीवनी  रामसतन निषाद सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश द्वारा लिखी गई है। अपने अमूल्य लेख देने के लिए रामसतन जी को बहुत-बहुत धन्यवाद........। 

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स्व.रणजीत निषाद जी की जीवनी - Biography of Ranjeet Nishad स्व.रणजीत निषाद जी की जीवनी - Biography of Ranjeet Nishad Reviewed by Ramesh 'Manjhi' on 11:02 pm Rating: 5

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